उम्मीद, नाउम्मीदी से कहीं अधिक बड़ी होती है। नाउम्मीदी जब लोगों को बार-बार हराने का मंसूबा बनाती है तो लोग उसे पछाड़कर आगे बढ़ जाते हैं। यह उपन्यास ऐसे ही तीन लड़कों की कहानी है जो किशोर उम्र से जवानी की दहलीज़ पर आ खड़े होते हैं और उसमें तमाम रंग भरते, एक दिन उसे लांघकर उम्र के अगले पड़ाव पर पहुंच जाते हैं। उनकी जिंदगी उस धरातल पर चलती है जहां उनके गली-मोहल्ले के सुख-दुख हैं। जहां उन्हें लगता है कि बस इतना ही आकाश है उनका। वे एक ओर प्रेम का स्वप्निल संसार रचते हैं तो दूसरी ओर अपराध की नगरी उन्हें खींचती है। उनकी ज़िंदगी वास्तविक कठोर धरातल पर तब आती है जब वे अपने इलाके के मज़दूरों से जुड़ते हैं, देश में आ रहे परिवर्तनों के गवाह बनते हैं। एक तरफ उदारीकरण की कवायद तो दूसरी तरफ साम्प्रदायिकता का उभार। एक तरफ समृद्धि के नए खूबसूरत सपने और दूसरी तरफ बदहाली की बदसूरत तस्वीरें। ये दिल्ली के उस दौर की कहानी है जब शहर की आबोहवा सुधारने के लिए दिल्ली की कपड़ा मिलों में काम करने वाले हज़ारों लोगों का रोज़गार एक झटके में खत्म कर दिया गया। कितनी ही जिंदगियां तबाही की ओर धकेल दी गयीं। उपन्यासकार ने समय की इसी इबारत को आपके सामने लाने की एक सार्थक कोशिश की है। पुरानी दिल्ली के इलाके किस्सागोई के अंदा़ज में बयां हुए हैं।
Pragya
जन्म: दिल्ली शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पी-एच.डी.। प्रकाशित कृतियाँ: कहानी संग्रह: तक़्सीम, मन्नत टेलर्स। उपन्यास: गदड़ बस्ती नाट्यालोचना से संबंधित किताबें: नुक्कड़ नाटक: रचना और प्रस्तुति, जनता के बीच: जनता की बात, नाटक से संवाद, नाटक: पाठ और मंचन, बाल-साहित्य: तारा की अलवर यात्रा । सामाजिक सरोकारों पर आधारित किताब: आईने के सामने. पुरस्कार: सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से 'तारा की अलवर यात्रा' को प्रथम पुरस्कार, वर्ष 2008. प्रतिलिपि डॉट कॉम, कथासम्मान 2015. 'तक्सीम' कहानी को प्रथम पुरस्कार. उपन्यास 'गूदड़ बस्ती' को मीरा स्मृति पुरस्कार 2016, स्टोरी मिरर डॉट कॉम कांटेस्ट-3, 2017, कहानी ‘पाप, तर्क और प्रायश्चित' को प्रथम पुरस्कार. कहानी-संग्रह 'तक्सीम' को प्रथम पुरस्कार। महेंद्र प्रताप स्मृति कथा पुरस्कार-2019 सम्प्रति: किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर।.
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LOKBHARTI PRAKASHAN