Ek Syaah Firdaus

Author:

Sanjaya Shepherd

Publisher:

HIND YUGM

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Publisher

HIND YUGM

Publication Year 2024
ISBN-13

9788119555710

ISBN-10 8119555716
Binding

Paperback

Number of Pages 240 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14X 1.2
Weight (grms) 180

इस किताब में नहीं लिख पाने के दुख से जूझते एक लेखक का मौलिक प्रेम प्रसंग है। वह लेखक एक लड़की से प्रेम करता है। प्रेम को जीने के साथ-साथ उसके बिछड़ाव को भी जीता है। यह बिछड़ाव उसे उन तमाम लड़कियों के जीवन तक लेकर जाता है जो उसकी जीवन में आई होती हैं। इस दौरान दर्जनों प्रेम कहानियाँ पैदा होती हैं।


वह प्रेम के होने और नहीं होने की ऊहापोह में कई तरह के प्रेम को जीता है। बावजूद इसके उस लड़की तक नहीं पहुँच पाता जिसे वह सच्चे अर्थों में प्रेम करता है। एक समय बाद पहुँचता भी है पर उसके हृदय और आत्मा को नहीं छू पाता है। इस तरह वह न चाहते हुए भी पुनः उसी नहीं लिख पाने के दुख के कोलाहल में लौट आता है।


यह प्रेम में मिला दुख उसके नहीं लिख पाने के दुख से भी बड़ा होता है और इस दुख के साथ उसका लेखक उसमें आहिस्ता-आहिस्ता लौटने लगता है। वह प्रेम में मिले बिछड़ाव के दुख से दबा हुआ महसूस करता है और ख़ुद को अपने लेखक के साथ, एक अँधेरे कमरे में, एक लंबे समय के लिए बंद कर लेता है।


कुछ दिनों बाद जब वह खिड़की खोलता है तो उसके मन का मौसम बदल चुका होता है और अपनी राइटिंग डेस्क पर एक पांडुलिपि रखी हुई पाता है। इस पांडुलिपि को देखकर वह ख़ुशी और उन्माद से चीख़ पड़ता है। न लिख पाने का दुख, मन की पीड़ाएँ और विचारों की सारी जद्दोजहद ख़त्म हो जाती है।


एक आश्वस्ति का भाव पैदा होता है, और उसकी आँखें चमक उठती हैं। इस तरह से वह एक बार फिर से ख़ुद में लौटता है। वह लेखक जो तीन साल पहले मर चुका होता है, उसके भीतर एक बार फिर से जी उठता है।


इस किताब में मनाली का मौसम, प्रेम के अनगिनत क़िस्से और भावनाओं की ज़बरदस्त ऊहापोह है।


प्रेम के नए बनते-बिगड़ते समीकरण को समझने के लिए इस किताब को ज़रूर पढ़ें।

Sanjaya Shepherd

संजय शेफ़र्ड— लेखक और घुमक्कड़। देश-दुनिया में कभी मतलब तो कभी बेमतलब घूमते रहते हैं। कुछ साल पहले तक घूमना शौकिया शुरू हुआ था पर धीरे-धीरे यह इनका पैशन बन गया। जन्म गोरखपुर में हुआ। शुरुआती शिक्षा नवोदय विद्यालय से प्राप्त की। फिर मास कम्यूनिकेशन में बैचलर और मास्टर करने के बाद बालाजी टेलीफ़िल्म, रेडियो मिर्ची और बीबीसी ट्रेवल में काम किया। साल 2023 में प्रकाशित हुआ इनका उपन्यास ‘ज़िंदगी ज़ीरो माइल’ पाठकों के बीच ख़ूब सराहा गया। ‘विष्णु प्रभाकर साहित्य सम्मान 2024’ से सम्मानित। वर्तमान में घुमक्कड़ी और स्वतंत्र रूप से लेखन करते हैं।
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