Himalaya

Author :

Mahadevi Verma

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2015
ISBN-13

9788180319884

ISBN-10 8180319881
Binding

Hardcover

Number of Pages 193 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14 X 1.5

संसार के किसी पर्वत की जीवन-कथा इतनी रहस्यमयी न होगी जितनी हिमालय की है। उसकी हर चोटी, हर घाटी हमारे धर्म, दर्शन, काव्य से ही नहीं, हमारे जीवन के सम्पूर्ण निश्रेयम् से जुडी हुई है। संसार के किसी अन्य पर्वत की मानव की संस्कृति, काव्य, दर्शन, धर्म आदि के निर्माण में ऐसा महत्त्व नहीं मिला है, जैसा हमारे हिमालय को प्राप्त है। वह मानो भारत की संश्लिष्ट विशेषताओं का ऐसा अखंड विग्रह है, जिस पर काल कोई खरोंच नहीं लगा सका।


वस्तुतः हिमालय भारतीय संस्कृति के हर नए चरण का पुरातन साथी रहा है। भारतीय जीवन उसकी उजली छाया में पलकर सुन्दर हुआ ये, उसकी शुभ्र ऊँचाई छूने के लिए उन्नत बना है और उसके हृदय से प्रवाहित नदियों में घुलकर निखरा है।


हमारे राष्ट्र के उन्नत शुभ्र मस्तक हिमालय पर जब संघर्ष की नील-लोहित आग्नेय घटाएँ छा गईं, तब देश के चेतना-केन्द्र ने आसन्न संकट की तीव्रानुभूति देश के कोने-कोने में पहुँचा दी।


धरती की आत्मा के शिल्पी होने के कारण साहित्यकारों और चिन्तकों पर विशेष दायित्व आ जाना स्वाभाविक ही था। इतिहास ने अनेक बार प्रमाणित किया है कि जो मानव समूह अपनी धरती से जिस सीमा तक तादात्म्य कर सका है, वह उसी सीमा तक अपनी धरती पर अपराजेय रहा है। आधुनिक युग के साहित्यकार को भी अपने रागात्मक उत्तराधिकार का बोध था। इसी से हिमालय के आसन्न संकट ने उसकी लेखनी को, ओज के शंख और आस्था की वंशी के स्वर दे दिये हैं।

Mahadevi Verma

महादेवी वर्मा,जन्म: 1907, फर्रुख़ाबाद (उ.प्र.)। शिक्षा : मिडिल में प्रान्त-भर में प्रथम, इंट्रेंस प्रथम श्रेणी में, फिर 1927 में इंटर, 1929 में बी.ए., 1932 में प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.एम. किया प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य और 1960 में कुलपति। ‘चाँद’ का सम्पादन। ‘विश्ववाणी’ के ‘युद्ध अंक’ का सम्पादन। ‘साहित्यकार’ का प्रकाशन व सम्पादन। नाट्य संस्थान ‘रंगवाणी’ की प्रयाग में स्थापना। पुरस्कार : ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘नीरजा’ पर ‘सेकसरिया पुरस्कार’, ‘स्मृति की रेखाएँ’ पर ‘द्विवेदी पदक’, ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’, उत्तर प्रदेश सरकार का ‘विशिष्ट पुरस्कार’, उ.प्र. हिन्दी संस्थान का ‘भारत भारती पुरस्कार’। उपाधियाँ : भारत सरकार की ओर से ‘पद्मभूषण’ और फिर ‘पद्मविभूषण’ अलंकरण। विक्रम, कुमाऊँ, दिल्ली, बनारस विश्वविद्यालयों से डी.लिट्. की उपाधि। ‘साहित्य अकादेमी’ की सम्मानित सदस्या रहीं। प्रमुख कृतियाँ : ‘अतीत के चलचित्र’, ‘शृंखला की कड़ियाँ’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’ (रेखाचित्र); ‘क्षणदा’, ‘साहित्यकार की आस्था’, ‘संकल्पित’ (निबन्ध); ‘मेरा परिवार’ (संस्मरण); ‘सम्भाषण’ (भाषण); ‘चिन्तन के क्षण’ (रेडियो वार्ता); ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘प्रथम आयाम’, ‘अग्निरेखा’, ‘यात्रा’ (कविता-संग्रह)। निधन : 11 सितम्बर, 1987
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