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Publisher | LOKBHARTI PRAKASHAN |
Publication Year | 2018 |
ISBN-13 | 9788180318696 |
ISBN-10 | 8180318699 |
Binding | Hardcover |
Number of Pages | 140 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22 X 14 X 1 |
निर्मला मुंशी प्रेमचन्द का अत्यन्त लोकप्रिय उपन्यास है। सन् 1927 में प्रकाशित इस उपन्यास के केन्द्र में बेमेल विवाह और दहेज की समस्या है जिन्हें प्रेमचन्द ने अपनी गहरी सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समझ के साथ उकेरा है। कहा जाता है कि इस उपन्यास में प्रेमचन्द ने उपदेशात्मकता की जगह पहली बार अपनी यथार्थवादी दृष्टि का व्यापक प्रयोग किया था। दहेज न दे पाने के कारण निर्मला की शादी उससे उम्र में बहुत बड़े और तीन बच्चों के पिता मुंशी तोताराम से कर दी जाती है। फिर शुरू होता है शक-संदेह और मानसिक जटिलताओं का अन्तहीन सिलसिला जिसके चलते पूरा परिवार बिखर जाता है, और निर्मला का मन और शरीर धीरे-धीरे क्षीण होता जाता है। उसकी इहलीला समाप्त हो जाती है! स्त्री और पुरुष की मन:स्थितियों को यह उपन्यास जितनी बारीकी से उजागर करता है, उतनी ही प्रामाणिकता के साथ मध्यवर्गीय कस्बाई परिवार के आपसी रिश्तों को भी रेखांकित करता है। साथ ही समाज के रीति-रिवाजों के अमानवीय पहलू को भी उतनी ही गहराई से सामने लाता है। इस उपन्यास पर आधारित इसी नाम से बना टीवी धारावाहिक भी अत्यन्त चर्चित रहा है।
Premchand
LOKBHARTI PRAKASHAN