Yashodhara (Hindi)

Author:

Volga

Publisher:

Manjul Publishing House Pvt. Ltd.

Rs191 Rs225 15% OFF

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Publisher

Manjul Publishing House Pvt. Ltd.

Publication Year 2021
ISBN-13

9789390085651

ISBN-10 9789390085651
Binding

Paperback

Edition First
Number of Pages 153 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 X 13 X 1.2
Weight (grms) 146
अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने और ज्ञान की प्राप्ति के लिए महल को छो़डकर जाने की सिद्धार्थ गौतम की कहानी कई शताब्दियों से अनगिनत बार सुनाई जाती रही है। इसके बावजूद हमने कभी यह नहीं सोचा कि एक शिशु को जन्म देने के अनुभव से गुज़र चुकी उनकी पत्नी यशोधरा कैसे चैन से सोई रह सकती थी, जबकि अत्यधिक संरक्षित जीवन जीने वाले उनके राजकुमार पति परिवार, धन-संपदा और राजपाट को त्याग कर जा रहे थे! इस उपन्यास में इतिहास लेखन में छूट गए अंतरालों की पूर्ति काल्पनिक घटनाओं द्वारा की गई है और इसे अत्यंत परिपूर्णता और उत्साहपूर्ण ढंग से किया गया है। यशोधरा कौन थी और दुनिया को देखने के उसके दृष्टिकोण को किस चीज़ ने आकार दिया था? जब सोलह वर्ष की आयु में उसका विवाह सिद्धार्थ से हुआ, तो क्या वह जानती थी कि उसका दाम्पत्य जीवन बहुत जल्दी ही पूरी तरह से बदलने वाला था? वोल्गा के नारीवादी उपन्यास यशोधरा में हमारी मुलाकात जिस स्त्री से होती है, वह बुद्धिमान और करुणामयी है। वह आध्यात्मिक जीवन में पुरुषों के समान स्त्रियों के लिए भी पथ प्रशस्त करने की इच्छा रखती है।

Volga

वोल्गा सामयिक तेलुगु साहित्य की सबसे उल्लेखनीय हस्तियों में से हैं। उनकी लगभग पचास प्रकाशित रचनाओं में उपन्यास, नाटक, लघु कथा संग्रह, निबंध व काव्य संग्रह और अनुवाद शामिल हैं। वह अस्मिता रिसोर्स सेंटर फ़ॉर विमेन की कार्यकारी अध्यक्ष और संस्थापक सदस्य हैं। वोल्गा ने काव्य संकलन नीलि मेघुलु का संपादन किया है और सरिहदुलु लेनि संध्यालु का सह-संपादन किया है, जो आंध्र प्रदेश की नारीवादी राजनीतिक परिपाटी से जुड़ी है। उन्होंने सरमसम पुस्तक का सह-लेखन भी किया है, जो ताड़ी के विरुद्ध चलने वाले संघर्ष का वर्णन करती है। उन्होंने आंध्र प्रदेश के इतिहास को आकार देने वाली महिलाओं का उल्लेख करने वाली महिलावरणम/वुमनस्केप का भी सह-लेखन किया है। वोल्गा को अपने कार्य के लिए कर्इ सम्मान मिले हैं, जिनमें पोट्टि श्रीरामुलु तेलुगु यूनिवर्सिटी से बेस्ट राइटर, रंगवल्लि मेमोरियल अवॉर्ड, रामिनेमि फ़ाउंडेशन अवॉर्ड, मालती चंदुर अवॉर्ड, विसाला साहिति पुरस्कारम्, सुशीला नारायण रेड्डी अवॉर्ड, कंदुकुरि वीरेसलिंगम लिटरेरि अवॉर्ड, लोकनायक फ़ाउंडेशन अवॉर्ड और लैंगिक संवेदनशीलता के लिए मिलने वाला साउथ एशिया लाडली मीडिया ऐंड एडवर्ंटाज़िंग अवॉर्ड शामिल हैं। उन्हें अपने उपन्यास विमुक्ता के लिए 2015 में साहित्य अकादमी पुस्कार से सम्मानित किया गया। इस उपन्यास का अंग्रेज़ी अनुवाद द लिबरेशन ऑफ़ सीता हार्पर पेरेनियल द्वारा प्रकाशित किया गया।
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