Lawa

Author:

Javed Akhtar

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs338 Rs450 25% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2016
ISBN-13

9788126722105

ISBN-10 9788126722105
Binding

Hardcover

Number of Pages 140 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 381
लावा कुछ बिछड़ने के भी तरीक़े हैं खैर, जाने दो जो गया जैसे थकन से चूर पास आया था इसके गिरा सोते में मुझपर ये शजर क्यों इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में ढूँढ़ता फिरा उसको वो नगर-नगर तन्हा आज वो भी बिछड़ गया हमसे चलिए, ये क़िस्सा भी तमाम हुआ ढलकी शानों से हर यक़ीं की क़बा ज़िंदगी ले रही है अंगड़ाई पुर-सुकूँ लगती है कितनी झील के पानी पे बत पैरों की बेताबियाँ पानी के अंदर देखिए बहुत आसान है पहचान इसकी अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है जो मंतज़िर न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा कि हमने देर लगा दी पलटके आने में आज फिर दिल है कुछ उदास-उदास देखिए आज याद आए कौन न कोई इश्क़ है बाक़ी न कोई परचम है लोग दीवाने भला किसके सबब से हो जाएँ|

Javed Akhtar

शायर, पटकथाकार और गीतकार जावेद अख़्तर ऐसे गिने-चुने लोगों में हैं जो व्यावसायिक सिनेमा से लेकर शायरी और अदब तक की दुनिया में एक विशेष महत्‍व रखते हैं। भारतीय सिनेमा के इतिहास में जावेद अख़्तर का योगदान ज़ंजीर, दीवार और शोले जैसी फ़िल्मों के कालातीत महत्‍व से आँका जाता है जिनकी पटकथाएँ उन्होंने सलीम ख़ाँ के साथ मिल कर लिखी थीं। उर्दू और हिन्दी में प्रकाशित उनके कविता-संग्रह तरकश को हर तरह की सफलता मिली है। उन्होंने ऐसे फ़िल्मी गीत लिखे हैं जिनका न केवल अनुकरण किया गया बल्कि उनसे नयी परम्परा की शुरुआत भी हुई। आज सिनेमा और साहित्य के क्षेत्र में जावेद अख़्तर अत्यन्त सफल और सम्माननीय व्यक्ति हैं।
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