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Publisher | HIND YUGM |
Publication Year | 2024 |
ISBN-13 | 9789392820984 |
ISBN-10 | 9392820984 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 144 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22 X 14 X 1.5 |
Weight (grms) | 140 |
भारतीय साहित्य संसार में किंवदंती की हैसियत पा चुके विनोद कुमार शुक्ल की कविता से परिचय 'मनुष्य होने के अकेलेपन में मनुष्य की प्रजाति' से परिचय है। इस काव्य-संसार से गुज़रना अपेक्षा से कुछ अधिक और अनिर्वचनीय पा लेने के सुख सरीखा है। यह आस्वाद आस्वादक को बहुत वक़्त तक विकल, चुप और प्रतिबद्ध रखता है। इससे गुज़रकर पृथ्वी में सहयोग और सहवास के अर्थ खुलते हैं और एकांत और सार्वभौमिकता के भी। इस काव्य-संसार में अपने आरंभ से ही कुछ संसार स्पर्श कर बहुत संसार स्पर्श कर लेने की चाह का वरण है और घर और संसार को अलग-अलग नहीं देख पाने की दृष्टि। पहाड़ों, जंगलों, पेड़ों, वनस्पतियों, तितलियों, पक्षियों, जीव-जंतुओं, समुद्र, नक्षत्रों और भाषाओं से उस परिचय के लिए जिसमें अपरिचित भी उतने ही आत्मीय हैं, जितने कि परिचित : विनोद कुमार शुक्ल के इस नवीनतम कविता-संग्रह 'एक पूर्व में बहुत से पूर्व' का पाठ एक अनिवार्य और समयानुकूल पाठ है।
Vinod Kumar Shukla
HIND YUGM