Basaveshwara : Samata Ki Dhwani

Author :

Kashinath Ambalge

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2019
ISBN-13

9789389742053

ISBN-10 9389742056
Binding

Hardcover

Number of Pages 160 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14.5 X 1.5

निर्बलों की सहायता करना ही सबलों का कर्तव्य है। उसी से सुखी समाज की स्थापना हो सकती है। सभी धर्मों के मूल में दया की भावना ही प्रमुख है। बसवेश्वर के एक वचन का यही भाव है—


दया के बिना धर्म कहाँ?


सभी प्राणियों के प्रति दया चाहिए


दया ही धर्म का मूल है


दया धर्म के पथ पर जो न चलता


कूडलसंगमदेव को वह नहीं भाता।


बसवेश्वर की वचन रचना का उद्देश्य ही सुखी समाज की स्थापना करना था। चोरी, असत्य, अप्रामाणिकता, दिखावा, आडम्बर एवं अहंरहित समाज की स्थापना बसव का परम उद्देश्य था, जो निम्न एक वचन से स्पष्ट होता है—


चोरी न करो, हत्या न करो, झूठ मत बोलो


क्रोध न करो, दूसरों से घृणा न करो,


स्वप्रशंसा न करो, सम्मुख ताड़ना न करो,


यही भीतरी शुद्धि है और यही बाहरी शुद्धि है,


यही मात्र हमारे कूडलसंगमदेव को प्रसन्न करने का सही मार्ग है।


हठ चाहिए शरण को पर-धन नहीं चाहने का, हठ चाहिए शरण को पर-सती नहीं चाहने का, हठ चाहिए शरण को अन्य देव को नहीं चाहने का, हठ चाहिए शरण को लिंग-जंगम को एक कहने का, हठ चाहिए शरण को प्रसाद को सत्य कहने का, हठहीन जनों से कूडलसंगमदेव कभी प्रसन्न नहीं होंगे॥

Kashinath Ambalge

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