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Publisher | Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year | 2023 |
ISBN-13 | 9789395737791 |
ISBN-10 | 9395737794 |
Binding | Paperback |
Edition | 2nd |
Number of Pages | 152 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22X14.5X1.5 |
Weight (grms) | 169 |
छोटे शहरों के रचनाकारों के बड़े केन्द्रों में उत्प्रवास और उनके मनोजगत में केन्द्र के सर्वग्रासी प्रसार और आधिपत्य के इस भयावह दौर में बद्री नारायण की कविता गुलाब के बरक्स कुकुरमुत्ते के बिम्ब को रचनेवाली काव्य-परम्परा का विस्तार है। यह एक ऐसा समय है जब केन्द्र अपने अभिमत का उत्पादन ही नहीं कर रहा है, उसका प्रसार भी कर रहा है। वह कुछ हद तक अपनी मान्यताओं से अलग दिखती धारणाओं और काव्य-भंगिमाओं को भी लील जाने को आतुर है। इसलिए कोई भी अन्य काव्य-भंगिमा उसके लिए असहनीय हो गई है। वह तर्क से या कुतर्क से उसे ख़ारिज कर देने पर आमादा है। यह समय कविता-परिदृश्य के आन्तरिक जनतंत्र को बचाने के कठिन संघर्ष का समय है। बद्री नारायण की कविता वस्तुतः जनतांत्रिक समय में एक संवादी नागरिक होने की इच्छा की कविता है। वह सीमान्त पर खड़े समुद्र से बात करने की इच्छा और कोशिश की कविता है। वह अपेक्षाओं और उसकी सीमा को जानती है। उसमें सपनों और आकांक्षाओं के पूरा न हो पाने की उदासी है लेकिन यह कविता अपने को उस कवि की वंश परम्परा से जोड़ना चाहती है जिसका गीत मछुआरों की बस्ती के बाहर गोल बनाकर बैठी स्त्रियाँ गाती हैं। बद्री नारायण की कविता भारतीय समाज के निम्न वर्ग के ऐसे मिथकों, आख्यानों और इतिहास के अलक्षित सन्दर्भों के पास जाती है जिनमें उनकी पीड़ाएँ, अवसाद और संघर्ष की अदीठ रह गई गाथाएँ छिपी हैं। बद्री नारायण की कविता में वर्चस्वशाली शक्तियों द्वारा स्वीकृति प्राप्त कर चुके प्रचलित मिथक लगभग नहीं हैं। अप्रचलित मिथकीय आख्यानों का पुनर्पाठ करने की कोशिश भी यहाँ नहीं है। इन कविताओं में तो ऐसी जातियों और मानव-समूहों के अपने आख्यानों और जन-इतिहासों के चरित्र और गाथाएँ हैं जो उत्पादन की गतिविधियों से जुड़े होने के बावजूद समाज की परिधि पर नारकीय जीवन जीने को अभिशप्त हैं। बद्री नारायण की कविता उन बहुसंख्य मानव समूहों के सपनों, आकांक्षाओं, उनकी कमज़ोरियों और उनकी शक्ति का भाष्य तैयार करती है। वस्तुतः कवि का काव्य-व्यवहार ही इस कविता की राजनीति का साक्ष्य है। ये कविताएँ, कहा जा सकता है कि हमारे समाज के बहुजन की थेरी गाथाएँ हैं।
Badri Narayan
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd