Rajdhani Express Via Ummidpur Halt

Author:

Sunil Jha

Publisher:

HIND YUGM

Rs269 Rs299 10% OFF

Availability: Available

Shipping-Time: Usually Ships 1-3 Days

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

HIND YUGM

Publication Year 2025
ISBN-13

9788119555970

ISBN-10 811955597X
Binding

Paperback

Number of Pages 248 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14 X 1.5
Weight (grms) 180

इस उपन्यास का जो कथा-संसार है वह अपने-आपमें एक दुनिया है, एक ऐसी दुनिया जो पहले भी थी, अभी भी है, आगे भी रहेगी। बिहार जैसे हिंदी प्रदेश के राज्यों से हज़ारों बच्चे हर साल उम्मीद की नाव लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की उन लहरों पर उतर पड़ते हैं जिनपर डूबते-उतराते हुए पार उतरने की जद्दोजहद ही जैसे ज़िंदगी बन जाती है। कुछ अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं, कुछ नई दिशा ले लेते हैं। कुछ का संघर्ष बहुत लंबा हो जाता है, कुछ संघर्ष की इन लहरों से टकराते हुए डूब जाते हैं—ऐसे कि ज़िंदगी भर नहीं उबर पाते।

यह यात्रा आनंददायक है और कष्टप्रद भी। इसमें आशा है, निराशा है, सफलता का आनंद है, असफलता का दंश है, पर यह यात्रा है जो चुंबक की तरह अपनी ओर खींचती है, ऐसा कि रात-दिन, सुबह-शाम वही लहू बनकर रगों में दौड़ती रहती है और फिर जुनून का ऐसा सैलाब बन जाती है, जैसा ग़ालिब ने कहा है :

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल

जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है!

Sunil Jha

सुनील झा मूलतः बिहार के मधुबनी ज़िले से हैं। अधिकांश शिक्षा-दीक्षा सीतामढ़ी, मुज़फ़्फ़रपुर और दरभंगा जैसे बिहार के ही छोटे शहरों में हुई। सिविल सर्विसेज़ की तैयारी के लिए ढेर सारे अन्य बिहारियों की तरह ही दिल्ली देखकर आए और वहीं इस कथा का सूत्र मिला। इसके पात्र मिले और इसकी भाव-भूमि मिली। संप्रति : भारतीय राजस्व सेवा में। प्रकाशित रचनाएँ : धूप, चाँदनी और स्याह रंग (कविता-संग्रह); ब्लेज़ : एक बेटे की अग्निपरीक्षा (अनुवाद)
No Review Found