Publisher |
V & S Publishers |
Publication Year |
2017 |
ISBN-13 |
9789350576496 |
ISBN-10 |
9789350576496 |
Binding |
Paperback |
Edition |
FIRST |
Number of Pages |
143 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
23x18x1 |
Weight (grms) |
308 |
हिन्दू जनमानस की आवश्यकता तथा उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। पुस्तक में हिन्दू धर्म-ग्रंथों के आधार पर आवश्यकतानुसार प्रामाणिक जानकारी दी गई है। व्रत एवं पर्व के आध्यात्मिक पक्ष का वैज्ञानिक तथ्यों द्वारा पुष्टी की गयी है। इस पुस्तक का प्रकाशन कई संपादकों, समीक्षकों एवं विद्वत्जनों द्वारा किए गए शोधों का एक परिणाम है। व्रत भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की धरोहर हैं। धर्म-प्राण भारत में व्रत के मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य है मनुष्य और मनुष्य के बीच, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करना। ये मानव मन में नवोन्मेष लेकर आते हैं, लोक के साथ परलोक सुधारने की प्रेरणा देते हैं। जीवन को संतुलित रखते हुए खालीपन को कोसों दूर ले जाते हैं। ये मनुष्य को तपोभूत कर उसे शुभ कार्यों की तरफ अग्रसारित करते हैं। भारतीय जनमानस में समय-समय पर एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य व्रत एवं त्योहार ही करते हैं। व्रतोपवास आत्मशोधन का एक सर्वश्रेष्ठ उपाय है, शक्ति का उत्तम स्रोत है। ब्रह्मचर्य, एकांतवास, मौन एवं आत्मनिरीक्षण आदि की विधा संपन्न करने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। जीवन के उत्थान और विकास की अद्भुत शक्ति, आत्मविश्वास और अनुशासन की भावना भी वस्तुतः व्रत नियम के पालन से ही आती है। वेदों के मतानुसार व्रत और उपवास के नियम पालन से शरीर को तपाना ही तप है। इससे मानव जीवन सफल होता है। इस पुस्तक की मुख्य विशेषता यह है कि भारतवर्ष में सैकड़ों वर्षों से मनाए जाने वाले व्रत जैसे गणगौर गौरी तृतीया, निर्जला एकादशी, गुरु पूर्णिमा, अहोई अष्टमी, देवात्थानी एकादशी, सोलह सोमवार, शुक्रवार व्रत आदि सैकड़ों अन्य व्रतों को महीनों के अनुसार चित्रों द्वारा सुसज्जित किया गया है।
Dr. Prakash Chandra Gangrade
डॉ. प्रकाशचंद्र गंगराड़े की लगभग 350 रचनाओं ने देश की अनेक प्रतिष्ठा पत्र-पत्रिकाओं मे स्थान बनाया है। यूनीवार्ता एवं पब्लिकेशन सिटीकेट जैसी एजेंसियों के माध्यम से भी इनकी रचनाएं प्रकाश मे आई है। आकाशवाणी भोपाल केंद्र से इनकी 75 से अधिक वार्ताएं प्रसारित हो चुकी है। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओ मे अनेक पुरस्कार प्राप्त कर इन्होने विघारत्न, साहित्यालंकार, साहित्य कला विघालंकार, साहित्यश्री जैसी उपाधियाँ प्राप्त करने मे भी सफलता पाई है। अपने सुलेखन के लिए सभी के बीच निरंतर प्रशंशित हुए है।
Dr. Prakash Chandra Gangrade
V & S Publishers