Publisher |
V & S Publishers |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789381448458 |
ISBN-10 |
9789381448458 |
Binding |
Paperback |
Edition |
FIRST |
Number of Pages |
310 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
21x13x1.5 |
Weight (grms) |
322 |
प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों, वैघों और आचार्यो ने चमत्कारी जड़ी-बूटियों को अपनाया। आज उन्ही को हर खास-ओ-आम के बीच अपनाने की तेज़ होड़ है। इसका कारण यह विश्वास है कि इनसे व्यक्ति का कायाकल्प हो सकता है। नष्ट हुआ स्वास्थ और यौवन फिर से लौटा सकता है। निरोग रहकर आयु को बढ़ाया जा सकता है। हर छोटे-बड़े रोग का इलाज इन सर्वसुलभ जड़ी-बूटियों द्वारा आसानी से किया जा सकता है। ये जड़ी-बूटियां सदा-सर्वदा हानि रहित होती है। यानि दवाइयों का कोई दुष्प्रभाव (साइड इफ़ेक्ट) नहीं होता, किसी भी तरह की प्रतिक्रिया (रिएक्शन) का सामना नहीं करना पड़ता और बाद के दुष्परिणामो (आफ्टर इफ़ेक्टस)से भी बचाव रहता है। जड़ी-बूटिया स्वास्थवर्द्धक ही नहीं, जीवन रक्षक भी होती है।
Dr. Prakash Chandra Gangrade
डॉ. प्रकाशचंद्र गंगराड़े की लगभग 350 रचनाओं ने देश की अनेक प्रतिष्ठा पत्र-पत्रिकाओं मे स्थान बनाया है। यूनीवार्ता एवं पब्लिकेशन सिटीकेट जैसी एजेंसियों के माध्यम से भी इनकी रचनाएं प्रकाश मे आई है। आकाशवाणी भोपाल केंद्र से इनकी 75 से अधिक वार्ताएं प्रसारित हो चुकी है। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओ मे अनेक पुरस्कार प्राप्त कर इन्होने विघारत्न, साहित्यालंकार, साहित्य कला विघालंकार, साहित्यश्री जैसी उपाधियाँ प्राप्त करने मे भी सफलता पाई है। अपने सुलेखन के लिए सभी के बीच निरंतर प्रशंशित हुए है।
Dr. Prakash Chandra Gangrade
V & S Publishers