Dharmik Suktiyan: (Hindi)

Author :

Dr. Prakash Chandra Gangrade

Publisher:

V&S Publishers

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Publisher

V&S Publishers

Publication Year 2020
ISBN-13

9789381448878

ISBN-10 9789381448878
Binding

Paperback

Edition First
Number of Pages 242 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21.7X14X1.2
Weight (grms) 268
धर्म से श्रेष्ठ कोई नहीं है और धर्म से बेहतर कोई धन नहीं है। जो धर्म से अधिक प्रिय और श्रेष्ठ है अर्थात कोई नहीं, इसलिए अपने धर्म की रक्षा यत्नपूर्वक करो। स्वधर्म की रक्षा के लिए सदैव मंगल होता है। यश, प्रतिष्ठा, प्रताप और सर्वोच्च सम्मान प्राप्त होता है। ब्रह्मवर्त पुराण / श्री कृष्ण खंड 62/22-23 यह सच है कि धार्मिक मान्यताएँ, अच्छी तरह से बोली और उपदेश हमेशा हमारे लिए प्रेरणादायक, रचनात्मक और मार्गदर्शक रही हैं। इन शब्दों में अद्वितीय ऊर्जा के स्रोत के कारण, मानव जीवन में प्रकाश भरने की क्षमता है। वे हमें प्रेरित और उत्साहित भी करते हैं। उन्हें एक स्थान पर संकलित करना आवश्यक है ताकि उन्हें संदर्भ समय के रूप में उपयोग किया जा सके। यह पुस्तक इस उद्देश्य को पूरा करती है। कई धार्मिक ग्रंथों से संकलित, ये सभी कथन आपके लेख, कथन, वार्तालाप आदि को सार्थक और सारगर्भित बनाएंगे और आपको हर पल सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। इसीलिए छात्र, प्रचारक, लेखक, पत्रकार, वक्ता, प्रवक्ता, राजनेता, समाज सुधारक, राष्ट्र-प्रमुख, संत, महात्मा सभी सामान्य जन पाठकों के लिए भी उपयोगी हैं। आज के तनावपूर्ण, व्यस्त, संघर्षशील और भागमभाग से बने अपने अशांत जीवन को पढ़कर इसे शांत और सफल बनाएं।

Dr. Prakash Chandra Gangrade

डॉ. प्रकाशचंद्र गंगराड़े की लगभग 350 रचनाओं ने देश की अनेक प्रतिष्ठा पत्र-पत्रिकाओं मे स्थान बनाया है। यूनीवार्ता एवं पब्लिकेशन सिटीकेट जैसी एजेंसियों के माध्यम से भी इनकी रचनाएं प्रकाश मे आई है। आकाशवाणी भोपाल केंद्र से इनकी 75 से अधिक वार्ताएं प्रसारित हो चुकी है। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओ मे अनेक पुरस्कार प्राप्त कर इन्होने विघारत्न, साहित्यालंकार, साहित्य कला विघालंकार, साहित्यश्री जैसी उपाधियाँ प्राप्त करने मे भी सफलता पाई है। अपने सुलेखन के लिए सभी के बीच निरंतर प्रशंशित हुए है।
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